उद्योगपति रतन टाटा के अधूरे प्यार की कहानी

प्यार, एक खूबसूरत एहसास। क्या मनुष्य और क्या जीव-जंतु, प्यार की भूख सबको रहती है। अगर आपके सामने अनेक प्रकार के पकवान रखे हो, और खिलाने वाला आपसे प्यार से बर्ताव ना करें, तो भूख अपने आप मर जाती है। यह एक ऐसी भावना है, जिसकी कोई परिभाषा नहीं है।

प्यार की कहानियां सुनना हम सबको पसंद होती है। और जब वह कहानी किसी ऐसे इंसान से जुड़ी होती है, जिसे हम वास्तविक जीवन में जानते हैं, तो आनंद दुगुना हो जाता है। व्यक्ति विशेष में आज हम एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में बात करेंगे, जिन्हें भारत देश का हर नागरिक जानता है। तो आइए, प्यार की कहानियों वाली किताब के पहले पन्ने को पलटते हैं, और जानते हैं देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के प्यार की कहानी।

रतन टाटा का परिचय

रतन टाटा एक ऐसे शख्स हैं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं। जब भी भारत देश के अमीर लोगों की बात होती है, तो रतन टाटा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। देश की जनता अपने इस प्रसिद्ध उद्योगपति के बारे में बहुत कुछ जानने की चाहत रखती हैं। रतन टाटा ने भी अपने देशवासियों की चाहत का ध्यान रखते हुए वैलेंटाइन डे के मौके पर अपनी प्रेम कहानी जनता से साझा की। उन्होंने बताया, कि किस तरह अमेरिका में रहते हुए उन्हें एक महिला से प्यार हुआ, और किस तरह वो दोनो बिछड़ गए।

बताते चलें कि जब रतन टाटा दस साल के थे, तभी उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। बचपन से ही वो और उनके भाई अपनी दादी नवजबाई के साथ रहे। उनकी दादी ने ही उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया, और बताया कि अपनी बात रखने का साहस हर इंसान में होना चाहिए, लेकिन उन्हें अपनी बात विनम्रता पूर्वक दूसरों के सामने रखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनकी सोच उनके पिता से नहीं मिलती थी।

उनके पिता चाहते थे कि वो पियानो बजाए, लेकिन उनका मन वायलिन बजाने में लगता था। वह चाहते थे कि वे अमेरिका में पढ़ाई करें, लेकिन उनके पिता उन्हें यूके भेजना चाहते थे। उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन रतन आर्किटेक्ट बनना चाहते थे। उन्होंने बताया कि अगर दादी नहीं होती तो शायद वह अमेरिका में पढ़ाई नहीं कर पाते। द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद ही उनकी दादी उन्हें लेकर लंदन चली गई। दादी की वजह से ही उन्होंने मेकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई छोड़ आर्किटेक्ट में एडमिशन लिया।

नौकरी के दौरान जब हुआ उन्हें प्यार

अपनी प्रेम कहानी आगे बढ़ाते हुए रतन ने बताया कि आर्किटेक्ट की पढ़ाई करने के बाद लॉस एंजिल्स में उन्हें एक नौकरी मिल गई। उनके पिता उस समय भी उनके खिलाफ थे। वह नहीं चाहते थे कि रतन वहां पर नौकरी करें। उन्होंने आगे बताया कि 1962 का वह दौर बहुत ही अच्छा था क्योंकि उन्हें आर्किटेक्ट की नौकरी के दौरान ही एक महिला से प्यार हो गया था।

उन दोनों की शादी लगभग तय हो चुकी थी लेकिन अचानक रतन को उनकी दादी की तबीयत खराब होने की जानकारी मिली। इस वजह से उन्हें भारत वापस आना पड़ा। रतन को यह उम्मीद थी कि जिससे वह शादी करना चाहते हैं, वह भी उनके साथ भारत आएंगी। लेकिन 1962 में भारत और चीन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से उनके माता-पिता उन्हें भारत भेजने से राजी नहीं हुए। रतन को अमेरिका से अकेले ही वापस आना पड़ा। उसके बाद उन्हें कभी वापस मौका नहीं मिला कि वह अमेरिका जाकर उनसे शादी कर सके। वो दोनों अलग हो गए, उनकी राहें जुदा हो गई। एक प्यारा सा रिश्ता जुड़ते जुड़ते रह गया।

हम जब भी प्यार की कहानियां सुनते हैं या फिर प्यार वाली फिल्में देखते हैं तो हमारा दिल यही चाहता है कि दो प्यार करने वाले कभी जुदा ना हों। लेकिन जब दो प्रेमी जिंदगी की परेशानियों की वजह से नहीं मिल पाते, तो बहुत तकलीफ़ होती है। आंखो से आंसू रुकने का नाम नहीं लेते, और दिल बार बार यही सवाल पूछता है कि आंखिर ऐसा क्यों हुआ?

हमारे आसपास अनेक प्रेम कहानियां होती हैं। बस जरूरत होती है उन कहानियों को दिमाग की जगह दिल की निगाहों से देखने की। प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के प्यार की यह कहानी अगर आपको अच्छी लगी, तो इसे दूसरो को भी सुनाए। साथ ही टिप्पणी करके हमें यह जरूर बताएं कि क्या आपका भी प्यार अधूरा रह गया है? और अगर हां, तो किस वजह से? अधूरी मोहब्बत की ऐसी ही कहानियों को जानने के लिए बने रहे हमारे साथ। unshaven girl


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